Showing posts with label National. Show all posts
Showing posts with label National. Show all posts

Saturday, 25 June 2022

बेडशीट पर खून नहीं, मतलब दुल्हन कुंवारी नहीं:वर्जिनिटी टेस्ट का गंदा नियम; कहीं ससुर-देवर ने रेप किया, तो किसी ने सुसाइड कर लिया

 

क्या शादी की कोई ऐसी रस्म भी हो सकती है जो दुल्हन की इज्जत तार-तार कर दे और उसकी जान ही ले ले?

जी हां, राजस्थान में हो रहा है।

पढ़ने में ये बात शायद अटपटी लगे लेकिन ये सच है कि राजस्थान के कई गांवों में शादी करना गाड़ी खरीदने जैसा ही है। जैसे गाड़ी खरीदने से पहले टेस्ट ड्राइव की जाती है, उसी तरह दुल्हन काे भी वर्जिनिटी टेस्ट से गुजरना पड़ता है। इस टेस्ट को कुकड़ी की रस्म का नाम दिया गया है। इस घिनौनी रस्म के नाम पर दुल्हन की जिंदगी के सबसे खास दिन काे सबसे खौफनाक बना दिया जाता है। चादर पर खून के धब्बों से तय होता है दुल्हन वर्जिन है या नहीं। चादर साफ हो तो दुल्हन के कैरेक्टर पर कई दाग लगा दिए जाते हैं। मौत से खौफनाक सजा दी जाती है। घर की महिलाओं के सामने ससुर-जेठ दुल्हन के कपड़े उतारकर पीटते हैं। रेप करते हैं।

इस घिनौनी रस्म की खबरें तो कई बार सामने आई, लेकिन कभी भी उन दुल्हनों की आपबीती सामने नहीं आई। भास्कर टीम ने उन्हीं दुल्हनों का दर्द जानने के लिए 1 महीने में 1 हजार किलोमीटर का सफर किया। भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और जयपुर के 20 से ज्यादा गांवों में घूमे। इस दौरान 50 से ज्यादा दुल्हनों से मुलाकात की।

नरक जैसी जिंदगी का सामना कर चुकी दुल्हनें इतने खौफ में थीं कि कुछ भी बताने को तैयार नहीं थीं। जब उन्हें विश्वास दिलाया कि न नाम आएगा न फोटो तब वे अपना दर्द बयां करने के लिए तैयार हुईं।


केस 1 : 22 साल पहले ससुर-देवर ने रेप किया, आज भी खौफ में
मैं भीलवाड़ा की रहने वाली हूं। 22 साल पहले 18 की उम्र में शादी हुई। ससुराल में पहली बार अपने कमरे में जा रही थी। गेट के बाहर ही मेरी बुआ, चाची, मामी, सास, ननद और काकी सास खड़ी थीं। मुझे रोका और पूछा-ब्लेड, कैंची, नुकीली चीज या नेल पॉलिश तो नहीं है? मुझे समझ नहीं आया ये सवाल क्यों पूछ रही हैं? मैं इन चीजों का क्या करूंगी। मैंने कहा-नहीं। इसके बाद वो सब मेरे पास आ गईं। कोई मेरे बालों में हाथ डालकर पिन ढूंढ़ रही थी तो कपड़ों को हिलाकर देख रही थी। मैंने पूछा क्या हुआ तो काकी सास ने कपड़े उतारने के लिए कहा। मैंने पूछना क्यों, उससे पहले बुआ बोल पड़ी- उतार दो बेटी, जरूरी है। सबके सामने मुझे कपड़े उतारने पड़े। इसके बाद मुझे कमरे में जाने दिया।

इसके बाद मैं और पति कमरे से निकले तो काकी सास कमरे में गई और बेड से चादर उतारकर ले आई। चादर देख सास गुस्सा हो गई। बोली- बोल, किसके साथ मुंह काला किया है। मैंने विरोध जताया तो पति, सास और ससुरालवालों ने बुरी तरह पीटा। कमरे में बंद कर दिया। रात को ससुर कमरे में आया और मेरे साथ जबरदस्ती की। अगले दिन देवर ने मेरे साथ रेप किया।

पति को बताया तो उसने कहा-गलती की है तो सजा तो भुगतनी ही पड़ेगी। इसके बाद तो ये सिलसिला शुरू हो गया। 3 साल ससुराल में रहने के बाद आखिर किसी तरह हिम्मत जुटाई और भाग निकली। अकेले रहते हुए 19 साल हो गए, आज भी वो दिन याद आते हैं तो कंपकंपी छूट जाती है।


केस 2 : कपड़े उतारकर ससुर के सामने लाए, इतना टॉर्चर कि दुल्हन ने सुसाइड कर लिया
भीलवाड़ा में रहने वाली युवती की 26 अप्रैल 2021 को जहाजपुर कस्बे के पंडेर गांव में रहने वाले युवक से शादी हुई थी। शादी के बाद हुए वर्जिनिटी टेस्ट में युवती फेल हो गई। पति, सास-ससुर, जेठ-जेठानी ने बेरहमी से पीटा। इसके बाद उसके सारे कपड़े उतार दिए और ससुर के सामने लाया गया। वहां उसके प्राइवेट पार्ट में मिर्च डाली। किसी तरह युवती वहां से बचकर भागी और अपने घर आ गई।

18 जुलाई को उसका पति समझाइश कर वापस सुसराल ले गया। वहां उसके साथ फिर से मारपीट और प्रताड़ना का सिलसिला शुरू हो गया। सास-जेठानी कैरेक्टर को लेकर ताने देतीं। रोज की जिल्लत से परेशान होकर युवती ने जहर खा लिया। उसे कोटा एमबीएस अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।


केस 3 : वर्जिनिटी टेस्ट से पता चला, शादी से पहले रेप हुआ था
भीलवाड़ा के बागौर गांव में रहने वाली युवती की 11 मई को शादी हुई थी। ससुराल जाने के बाद उसकी सास ने उसकी मम्मी को फोन किया ‘शनिवार को कुकड़ी (वर्जिनिटी टेस्ट) की रस्म करेंगे। आपके परिवार से कुछ महिलाओं को भेज देना।’ मेरी मम्मी ने मामी, चाची और बुआ को मेरे ससुराल भेजा। कुकड़ी प्रथा हुई तो मैं उसमें खरी नहीं उतरी। पति और सास ने मेरे साथ मारपीट की। घरवालों के सामने मेरे बारे में घटिया बातें कहने लगे। इस पर मैंने उन्हें बताया कि शादी से पहले मेरे साथ रेप हुआ था। ससुरालवालों ने मुझे रखने से मना कर दिया और घर से निकाल दिया।

युवती ने बताया मेरे मम्मी और पापा 20 नवम्बर 2021 को मौसी की लड़की शादी में गए थे। घर में मैं और मेरी छोटी बहन व भाई थे। रात को करीब दो बजे में बाथरूम जाने के लिए घर से बाहर निकली। इस दौरान पड़ोस में रहने वाले शाहिद आया और जबरन मुझे अपने दादा के घर ले गया। वहां मेरे साथ रेप किया। मुझे धमकाया कि किसी को बताया तो मेरे घरवालों को मार देगा। डर के कारण मैंने किसी को कुछ नहीं बताया। शादी के बाद जब मुझ पर आरोप लगे तो मैंने उसके खिलाफ रेप का मामला दर्ज कराया।


चादर पर खून के धब्बे : चादर पर खून का धब्बे मिलें तो दुल्हन को वर्जिनिटी टेस्ट में पास घोषित किया जाता है। इसके बाद दुल्हन कुछ ब्लड सूत की गेंद (कुकड़ी) पर भी लगाती है। दोनों परिवारों के सदस्यों को ब्लड लगा सफेद कपड़ा और कुकड़ी दिखाई जाती है। सबूत के तौर पर सफेद कपड़ा पीहर पक्ष और कुकड़ी ससुराल पक्ष को दी जाती है।

चादर पर खून के धब्बे न हों तो : चादर पर खून के धब्बे न होने का सीधा मतलब है- दुल्हन की जिंदगी अब नर्क बना दी जाएगी। दूल्हा खुद चिल्ला-चिल्लाकर सबको बताता है कि ये कैरेक्टरलेस है, किसी और के साथ मुंह काला कर चुकी है। ससुराल वाले दुल्हन के कपड़े उतारकर उसे पीटते हैं। पूछते हैं- अपने यार का नाम बता! इसके बाद जाति की पंचायत बैठती है, जिसमें लड़की के परिवार पर लाखों रुपए का जुर्माना लगा दिया जाता है। जुर्माने से बचने और अपने पवित्रता साबित करने के लिए लड़की को दो और मौके दिए जाते हैं।



पहली परीक्षा- पानी में रोकनी होती है सांस
पंचायत के फरमान पर लड़की को किसी तालाब या नदी में खड़ा किया जाता है। अब एक आदमी जो न लड़के वालों की तरफ से होता है न लड़की की तरफ से, वो 100 कदम चलता है। जब तक 100 कदम पूरे न हों, लड़की को सांस रोककर पानी में खड़ा रहना होता है। लड़की सांस नहीं रोक पाई और पहले बाहर आ गई, यानी…पवित्र नहीं है। जुर्माना देना पड़ेगा।


सरी परीक्षा- हाथ पर रखना होता है गर्म तवा
इस टेस्ट में अपनी पवित्रता यानी वर्जिनिटी साबित करने के लिए दुल्हन को अपने हाथ में पीपल के पत्ते और उन पर गर्म तवा रखना होता है। हाथ जल गया, इसका मतलब दुल्हन का कैरेक्टर खराब है और अब इसकी भरपाई उसके परिवार को करनी होगी, जुर्माना भरकर। (दोनों ही मामलों में पवित्रता साबित भी हो गई तो भी आधा जुर्माना तो देना ही पड़ता है।)





Monday, 12 October 2020

अब आमिर के परिवार पर निशाना : कंगना ने आमिर की बेटी इरा के डिप्रेशन पर कहा- टूटे परिवारों के बच्चों के लिए बहुत मुश्किल होती है


वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे पर इरा खान ने यह खुलासा किया था कि वे क्लीनिकल डिप्रेशन से जूझ रही हैं। इसके बाद एक तरफ आमिर की 23 साल की बेटी पर पूरा बॉलीवुड प्यार और सहानुभूति लुटा रहा है वहीं कंगना की खरी-खरी बात ने सबको हैरान कर दिया है। कंगना ने कहा है कि टूटे हुए परिवारों के बच्चों के लिए बहुत ही मुश्किल होती है।

  

कंगना ने ट्वीट पर लिखी अपनी कहानी

इरा ने एक वीडियो शेयर कर खुलासा किया था कि वे पिछले 4 साल से डिप्रेशन से जूझ रही हैं। इसी पर कंगना ने भी कमेंट किया। ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा- सोलह की उम्र में मैंने फिजिकल असॉल्ट झेला था। अपनी बहन की देखभाल अकेले की थी, जिस पर तेजाब फेंका गया था। मीडिया को भी झेला। डिप्रेशन के कई कारण हो सकते हैं। मगर यह टूटे हुए परिवारों के लिए और भी कष्टकारी है। पारंपरिक परिवार प्रणाली बहुत जरूरी है।

कंगना के केस का फैसला बाकी है

यह पहला मौका नहीं है जब कंगना ने किसी बॉलीवुड सेलेब्स के निजी मामले में बोल रही हैं। पिछले दिनों कंगना ने महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ बयान दिए थे। जिसके बाद उनके ऑफिस पर बुल्डोजर चलवाया गया था। इसके बाद कंगना ने 2 करोड़ रुपए का हर्जाना मांगते हुए बीएमसी पर केस किया था। जिसका फैसला बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुरक्षित रख लिया है।

गौरतलब है कि इरा, आमिर और रीना की बेटी हैं। रीना और आमिर की शादी 1986 में हुई थी और 2002 में दोनों अलग हो गए थे।

 

Saturday, 25 July 2020

करगिल के 21 साल:एक के बाद एक हमले करते गए, हर दिन, और सब के सब युवा, जवान भी युवा थे और उनके लीडर्स भी युवा ऑफिसर्स थे, वो युद्ध था जिसे युवाओं ने लड़ा


  • सलाम उन्हें भी जो जिंदा रहे, हमें अपने साथी की शहादत की कहानी सुनाने को, वो भी कम बहादुर नहीं थे इसलिए उन्हें भी सैल्यूट
  • वहां युद्ध कंपनी और प्लाटून के बीच हो रहा था और उसका जिम्मा संभाले हमारे युवा फौजी ही थे जिनके बूते देश बच गया

करगिल विजय दिवस पर मैं उन तमाम वीरों को सैल्यूट करना चाहता हूं, जिन्होंने सर्वोच्च बलिदान दिया। और उन्हें भी जो उन वीरों को वापस लेकर आए। करगिल ऐसा युद्ध था जो युवाओं ने लड़ा अपने युवा लीडर्स के बूते। वहां युद्ध कंपनी और प्लाटून के बीच हो रहा था।

और उसका जिम्मा संभाले हमारे युवा फौजी ही थे जिनके बूते देश बच गया, जिन्होंने दुश्मन को करगिल से खदेड़कर हम सबको गौरवान्वित किया। मैं तब कर्नल था और जम्मू कश्मीर में लाइन ऑफ कंट्रोल पर ब्रेवेस्ट ऑफ द ब्रेव बटालियन को कमांड कर रहा था। नियंत्रण रेखा पर हर जगह गोलीबारी चल रही थी।

घुसपैठ की तमाम कोशिशें भीं। जिसके चलते कई सारे ऑपरेशन चलाए जा रहे थे। लेकिन, वहां करगिल में पूरा का पूरा युद्ध जारी था। हर दिन हम ऑपरेशन से जुड़ी जानकारी का इंतजार करते थे। खबर के लिए सिटरेप्स यानी सिचुएशनल रिपोर्ट सुनते। हर दिन खबर मिलती कि एक और चोटी पर हमने कब्जा कर लिया है, एक और पहाड़ी अब सुरक्षित है।


रिटायर्ड ले. जनरल सतीश दुआ करगिल के समय कर्नल थे और जम्मू कश्मीर में लाइन ऑफ कंट्रोल पर ब्रेवेस्ट ऑफ द ब्रेव बटालियन को कमांड कर रहे थे।

वो बंजर पहाड़ियां थीं जो 12 हजार से लेकर 20 हजार फीट की ऊंचाई पर थीं। मैं करगिल में पहले तैनात रह चुका था, समझ सकता था कि उस इलाके में जहां ऑक्सीजन की कमी से इंसान हांफता है, वहां ऑपरेट करना कितना मुश्किल होगा। उस ऊंची चोटी पर हमला करना जहां माउंटेनियरिंग एक्सपिडिशन पर रस्सियों के सहारे चढ़ाई करते हैं, कितना चुनौतीपूर्ण होगा।

फिर भी भारतीय जांबाजों का कोई मुकाबला नहीं। एक के बाद एक हमले करते गए, हर दिन, और सब के सब युवा, युवा जवान जिनके लीडर्स भी युवा ऑफिसर्स थे। वो युद्ध था जिसे युवाओं ने लड़ा, सबकी उम्र 20-30 के बीच रही होगी।

प्वाइंट 5140 को दुश्मन के कब्जे से छुड़ा लेने के बाद कैप्टन विक्रम बत्रा ने कहा, ये दिल मांगे मोर और वो सारे देश के युवाओं के बीच मशहूर हो गया, उनका नारा बन गया। फिर वो प्वाइंट 4875 को जीतने निकले और एक जख्मी ऑफिसर को बचाते अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी। वो यूं भी पहले कह चुके थे, मैं या तो तिरंगा फहराकर आऊंगा या फिर उसी में लिपट कर।


कैप्टन विक्रम बत्रा 7 जुलाई 1999 को शहीद हुए। उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

सूबेदार योगेंद्र सिंह यादव के हिस्से है सबसे कम उम्र में युद्ध का सर्वोच्च पदक, परमवीर चक्र। उन्हें जब उस अदम्य साहस के लिए ये पदक मिला तो वो बस 19 बरस के थे। टाइगर हिल पर हमले के वक्त दुश्मन ने उन पर कई बार हमला किया, लेकिन उन्होंने अपने हाथ को बेल्ट से बांधा और पैर में बंडाना लपेट रेंगकर दुश्मन का बंकर तबाह कर दिया। आमने-सामने की लड़ाई में चार दुश्मनों को मार गिराया। और अपनी प्लाटून की टाइगर हिल जीतने में मदद की। उन्हें 15 गोलियां लगीं और वो उस हमले में जीवित बचे इकलौते गवाह थे।

कैप्टन मनोज पांडे ने खालूबार हिल के जुबार टॉप पर हुए हमले में सर्वोच्च बलिदान दिया। वो कहते थे, यदि मौत पहले आई और मैं अपने खून का कर्ज नहीं चुका पाया तो कसम खाता हूं मैं मौत को मार डालूंगा।

कैप्टन विजयंत थापर ने तोलोलिंग फतह पर निकलने से पहले अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी। शायद उन्हें आभास हो गया था। उन्होंने लिखा था, ‘जब तक आपको ये खत मिलेगा मैं आपको आसमान से देख रहा होऊंगा और अप्सराएं मेरी खातिरदारी कर रही होंगी। मुझे कोई पछतावा नहीं है। और अगर में फिर से इंसान पैदा होता हूं तो मैं सेना में जाऊंगा और अपने देश के लिए लडूंगा। हो सके तो आप वो जगह आकर देखना जहां भारतीय सेना ने लड़ाई लड़ी।’


कैप्टन विजयंत थापर 29 जून 1999 को शहीद हुए थे। उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र दिया गया था।

ऐसे कई हैं, बहुत सारे हीरो। कैप्टन अनुज नायर, मेजर राजेश अधिकारी, मेजर विवेक गुप्ता, राइफलमैन संजय कुमार, कैप्टन नौंगरू और बहुत से। सबका नाम यहां लिखना मुमकिन नहीं। अपनी जिंदगी के बमुश्किल 20 बरस देखने वाले वो तमाम युवा जिन्होंने युद्ध लड़ा। भारतीय सेना के अफसरों की शहादत इसलिए सबसे ज्यादा होती है क्योंकि वो हर ऑपरेशन में सबसे आगे होते हैं।

जब भी मैं सर्वोच्च बलिदान देनेवाले इन योद्धाओं के माता-पिता से मिलता हूं तो बातों-बातों में जो एक बात हर जगह पता चलती है वो ये कि उनके बेटे बहादुर थे। वो इसलिए क्योंकि उनके परिवार और माता-पिता ने उन्हें ये संस्कार दिए थे। हर परिवार और परिवार के हर सदस्य के भीतर उन्हें लेकर गर्व है अफसोस नहीं। यही तो है जो हमारे देश को महान बनाता है।

भारत ने 527 योद्धाओं को करगिल युद्ध में खोया है। हम सैल्यूट करते हुए न सिर्फ उन सभी को जिन्होंने बलिदान दिया बल्कि उन्हें भी जो उन्हें लेकर वापस आए। वो भी कम बहादुर नहीं थे जो जिंदा रहे हमें अपने साथी की शहादत की कहानी सुनाने को। हमारा सलाम उन्हें जिन्हें वीरता पदक से नवाजा गया लेकिन उन्हें भी सलाम जो गुमनाम रहे या जिनके हिस्से मेडल नहीं आया। वो किसी भी लिहाज से कम बहादुर नहीं थे।


सूबेदार मेजर योगेंद्र यादव ने टाइगर हिल को जीतने में अहम भूमिका निभाई थी। योगेंद्र को उनकी बहादुरी के लिए सेना का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

सच तो ये है कि हर ऑपरेशन में, हर युद्ध में, दुनिया में हर जगह ये गुमनाम सोल्जर्स ही होते हैं जो जीत दिलाते हैं। एक सच्चे सैनिक के लिए पदक महत्व नहीं रखते। कोई भी सोल्जर मेडल के लिए नहीं लड़ता। ये तो जिंदगी और मौत का मसला है।

हमें गर्व है अपने सैनिकों पर और अपने यंग ऑफिसर्स पर। भारत को गर्व है, फिर चाहे वो करगिल हो या कश्मीर, इन जांबाजों ने हमेशा सीने पर गोली खाई है। हमारा सलाम भारत के हर नागरिक को। उन सभी को जिन्होंने भारतीय सेना का साथ दिया। भारतीय सैनिक के पीछे उसका साथ खड़ा पूरा देश जो है।

और किसी सोल्जर के लिए इससे ज्यादा भरोसा दिलाने वाला आखिर क्या होगा कि वह जिस देश के लिए जिंदगी दांव पर लगाता है, उसका वह देश उसकी परवाह करता है। फिर चाहे कश्मीर हो करगिल हो या लद्दाख, देश सलाम करता है बहादुर भारतीय सैनिकों को, देश के बहादुर युवाओं को।
जय हिंद।
(रिटायर्ड ले. जनरल सतीश दुआ, कश्मीर के कोर कमांडर रह चुके हैं, इन्ही के कोर कमांडर रहते सेना ने बुरहान वानी का एनकाउंटर किया। जनरल दुआ ने ही सर्जिकल स्ट्राइक की प्लानिंग की और उसे एग्जीक्यूट करवाया था। वे चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के पद से रिटायर हुए हैं।)





Friday, 24 July 2020

अयोध्या में भूमि पूजन पर रोक नहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका खारिज


उत्तर प्रदेश के अयोध्या में आगामी पांच अगस्त को राम मंदिर के लिए भूमि पूजन किया जाना है. कोरोना महामारी के मद्देनजर इस पर सवाल भी खड़े किए जा रहे हैं. भूमि पूजन पर रोक लगाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. जिसे अदालत ने खारिज कर दिया है.


प्रयागराज : पांच अगस्त को राम मंदिर के लिए प्रस्तावित भूमि पूजन पर रोक लगाने की मांग इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है. अयोध्या में भूमि पूजन पर रोक लगाने के लिए एक सामाजिक कार्यकर्ता ने याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया.


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोध्या में भूमि पूजन के खिलाफ याचिका खारिज की

सामाजिक कार्यकर्ता ने अपनी याचिका में दावा किया था कि राम मंदिर के लिए भूमि पूजन समारोह में लगभग 300 लोगों को आमंत्रित किया गया है. कोरोना महामारी का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने आशंका जताई थी कि आयोजन में शारीरिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) जैसे मानकों का उल्लंघन हो सकता है.

गौरतलब है कि अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखने के लिए आयोजित 'भूमि पूजन समारोह' में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत कई अन्य दिग्गजों के शामिल होने की संभावना है.



Thursday, 23 July 2020

मध्य प्रदेश : गुना में पांच रूपए के लिए अस्पताल के बाहर युवक को मिली मौत



गुना जिला अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के चलते एक महिला का सुहाग उजड़ गया. समय पर इलाज नहीं मिलने से सुनील धाकड़ नाम के शख्स की मौत हो गई. तबीयत खराब होने के चलते आरती अपने पति सुनील को लेकर बुधवार शाम अस्पताल पहुंची, तो उसे भर्ती नहीं किया गया, क्योंकि उसके पास रसीद के पैसे नहीं थे. बताया जा रहा है कि, मरीज को भर्ती कराने के लिए अस्पताल में जाते ही 5 रुपए की रसीद कटानी पड़ती है, जिसके बाद ही इलाज मिलता है.

लिहाजा महिला अस्पताल के बाहर बैठकर परिजनों का इंतजार करने लगी. रात गुजरने से उसके पति की हालत और बिगड़ गई. जब महिला सुबह 7 बजे दोबारा रसीद कटवाने पहुंची, तो उसे 9 बजे काउंटर खुलने की बात कहकर वापस कर दिया गया. 8 बजे उसके पति ने दम तोड़ दिया और वो कुछ नहीं कर सकी.

9 बजे अस्पताल के कर्मचारी उसे आनन-फानन में अंदर ले गए, लेकिन तब तक सुनील की मौत हो चुकी थी. महिला ने आरोप लगाया है कि, रात में जब वो रसीद कटवाने पहुंची थी, तो उससे पैसों की मांग की गई. उसके पास रसीद के पैसे नहीं थे, जबकि मरीज की हालत बिगड़ती जा रही थी. सब बताने के बाद भी उसके पति को भर्ती नहीं किया गया. सुनील ने लव मैरिज किया था, उसका दो साल का बेटा भी है.

महिला ने आरोप लगाया कि, अगर सही समय पर इलाज मिला होता, तो उसके पति की जान बच सकती थी, लेकिन न किसी ने रसीद दी और न ही उसे डॉक्टर ने देखा. इस मामले में डॉक्टर जवाब देने से बच रहे हैं. मामला सामने आने के बाद अस्पताल प्रबंधन पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं.

अब सेना में महिलाओं को मिलेगा स्थायी कमीशन, सरकार ने जारी किया स्वीकृति पत्र



भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने को लेकर सरकार ने गुरुवार को औपचारिक स्वीकृति पत्र जारी कर दिया है। अब इससे सेना में बड़ी भूमिका निभाने के लिए महिला अधिकारियों के लिए सशक्त मार्ग प्रशस्त हो सकेगा। यह जानकारी भारतीय सेना के प्रवक्ता ने दी।

यह आदेश भारतीय सेना की सभी दस स्ट्रीम में शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) की महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिए निर्दिष्ट करता है। जैसे ही सभी प्रभावी एसएससी महिला अधिकारी अपने विकल्प का प्रयोग करती हैं और अपेक्षित दस्तावेज पूरा कर लेती हैं, उनका चयन बोर्ड निर्धारित किया जाएगा।
 

क्या है सेना में स्थायी कमीशन, महिला सैनिकों को कैसे होगा फायदा

सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार युद्ध क्षेत्र को छोड़कर बाकी सभी इलाकों में महिला अधिकारियों को स्थायी कमान देने के लिए बाध्य है। कोर्ट ने कहा था कि सामाजिक और मानसिक कारण बताकर महिलाओं को इस अवसर से वंचित करना न केवल भेदभावपूर्ण है, बल्कि अस्वीकार्य भी है।



स्थायी कमीशन से क्या बदलेगा

स्थायी कमीशन दिये जाने का मतलब यह है कि महिला सैन्य अधिकारी अब रिटायरमेंट (सेनानिवृत्ति) की उम्र तक सेना में काम कर सकती हैं। अगर वे चाहें तो पहले भी नौकरी से इस्तीफा दे सकती हैं। अब तक शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत सेना में नौकरी कर रही महिला अधिकारियों को अब स्थायी कमीशन चुनने का विकल्प दिया जाएगा। स्थायी कमीशन के बाद महिला अधिकारी पेंशन की भी हकदार हो जाएंगी।

इन विभागों में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन
महिला अधिकारियों को न्यायाधीश एडवोकेट जनरल, सेना शिक्षा कोर, सिग्नल, इंजीनियर, आर्मी एविएशन, आर्मी एयर डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर, आर्मी सर्विस कॉर्प्स, आर्मी ऑर्डिनेंस कॉर्प्स और इंटेलिजेंस कोर में स्थायी कमीशन दिया जाएगा।

क्या है शॉर्ट सर्विस कमीशन

भारतीय सैन्य सेवा में महिला अधिकारियों की शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के माध्यम से भर्ती की जाती है। जिसके बाद वे 14 साल तक सेना में नौकरी कर सकती हैं। इस अवधि के बाद उन्हें रिटायर (सेनानिवृत्त) कर दिया जाता है। हालांकि 20 साल तक नौकरी न कर पाने के कारण रिटायरमेंट के बाद उन्हें पेंशन नहीं दी जाती है।


Wednesday, 22 July 2020

इंडिया आइडिया समिट में पीएम का संबोधन: पीएम मोदी बोले- भारत अवसरों का देश, निवेश के कई विकल्प





प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वैश्विक आर्थिक लचीलापन हासिल करने के लिए हमें मजबूत घरेलू क्षमताएं विकसित करनी होंगी।

  • यूएसआईबीसी की ओर से आयोजित 'इंडिया आइडिया समिट' को मोदी ने संबोधित किया
  • प्रधानमंत्री ने 'बिल्डिंग अ बेटर फ्यूचर' विषय पर अपने विचार रखे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को इंडिया आइडिया समिट को संबोधित किया। उन्होंने दुनिया को डिफेंस, सिविल एविएशन समेत 7 क्षेत्रों में निवेश का मौका देते हुए कहा कि भारत अपार संभावनाओं का देश बनकर उभर रहा है। खुशहाल और मजबूत दुनिया के लिए अपना योगदान कर रहा है। भारत ने आत्मनिर्भर भारत का नारा दिया है। इसके लिए हम आपकी भागीदारी का इंतजार कर रहे हैं। पिछले 6 सालों में हमने अपनी अर्थव्यवस्था में और ज्यादा खुलापन लाने के लिए कोशिशें की हैं।

यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएस-आईबीसी) की ओर से आयोजित समिट में प्रधानमंत्री मोदी बोले कि हमने अर्थव्यवस्था में सुधार किए हैं। सुधारों से यह निश्चित किया है कि प्रतिस्पर्धा, पारदर्शिता, डिजिटलाइजेशन, इनोवेशन को बढ़ावा मिले और नीतियां पहले से ज्यादा टिकाऊ हों।

यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल समिट में मोदी के भाषण की मुख्य बातें

  • वैश्विक आर्थिक लचीलापन हासिल करने के लिए हमें मजबूत घरेलू क्षमताएं विकसित करनी होंगी। इसका मतलब है कि मैन्युफैक्चरिंग और फाइनेंशियल सिस्टम को सही करने के लिए कोशिशें घरेलू स्तर पर जरूरी हैं। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भी विभिन्नता लानी होगी। 
  • भारत अवसरों की भूमि के तौर पर उभर रहा है। उदाहरण देता हूं। हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई। इसमें कहा गया कि भारत में पहली बार शहरी इलाकों से ज्यादा ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट यूजर हैं। आज पूरी दुनिया भारत को लेकर सकारात्मक है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि भारत खुलेपन, अवसरों और तकनीक का सबसे बेहतर कॉम्बिनेशन दे रहा है।
  • भारत आपको हेल्थकेयर में इनवेस्टमेंट के लिए न्योता दे रहा है। भारत का हेल्थकेयर सेक्टर सालाना 22% से ज्यादा की दर से बढ़ रहा है। हमारी कंपनियां मेडिकल टेक्नोलॉजी, टेलीमेडिसिन और डाइग्नोस्टिक के प्रोडक्शन में तरक्की कर रही हैं।
  • हमारा मार्केट खुला हुआ है। जब संभावनाएं ज्यादा हों और विकल्प बहुत सारे तो आशाएं बहुत आगे जा सकती हैं। आप इन आशाओं को तब देख सकते हैं, जब दुनिया की अहम रेटिंग्स में भारत ऊपर आता है। खासतौर पर वर्ल्ड बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रेटिंग में। भारत में हर साल हम पिछले साल से ज्यादा विदेशी निवेश देख रहे हैं।
  • 2019-20 में भारत में 74 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश हुआ। यह पिछले साल से 20% ज्यादा था। इस साल अप्रैल से जुलाई के बीच भारत में 20 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश हो चुका है। हम सभी मानते हैं कि दुनिया को बेहतर भविष्य की जरूरत है। हम सभी को मिलकर भविष्य को अंजाम देना है। हमारे एजेंडा में गरीब और जरूरतमंद केंद्र में होना चाहिए।
  • सिविल एविएशन भी एक क्षेत्र है, जहां विकास की अपार संभावनाएं हैं। भारत में हवाई यात्रियों की संख्या अगले 8 साल में दोगुनी होने की उम्मीद है। भारत की टॉप इंडियन एयरलाइंस हजारों नए एयरक्राफ्ट खरीदने की तैयारी आने वाले दशक में कर रही हैं।
  • डिफेंस और स्पेस के क्षेत्र में निवेश के लिए भी हम आपको आमंत्रित करते हैं। हमने डिफेंस सेक्टर में एफडीआई बढ़ाकर 74% कर दी है। भारत ने डिफेंस इक्विपमेंट के प्रोडक्शन के लिए दो डिफेंस कॉरिडोर बनाए हैं।
  • हम आपको फाइनेंस और इंश्योरेंस के क्षेत्र में निवेश के लिए न्योता देते हैं। भारत ने इंश्योरेंस में एफडीआई की सीमा 49% कर दी गई है। इंश्योरेंस इंटरमीडियरीज में अब एफडीआई की सीमा 100 फीसदी कर दी गई है। क्लीन एनर्जी के क्षेत्र में भी संभावनाएं हैं। अपने निवेश के लिए पावर जनरेशन के लिए भारत के पावर सेक्टर में आने का ये सबसे बेहतर वक्त है।

भारत-अमेरिका में दुनिया को आकार देने की क्षमता : विदेश मंत्री

इससे पहले, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने समिट को संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिका को दुनिया में बहुपक्षीय व्यवस्था के साथ काम करना सीखना होगा। पिछली दो जनरेशन में वह जिनके साथ आगे बढ़ा है, उनसे हटकर अब अमेरिका को सोचना होगा।

उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका एक साथ काम कर के दुनिया को आकार देने की क्षमता रखते हैं। हम समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी, कनेक्टिविटी, कोरोना, जलवायु परिवर्तन पर साथ काम कर रहे हैं। मुझे लगता है कि जरूरी ये है कि हम कैसे द्विपक्षीय एजेंडों को मजबूत कर बड़े एजेंडे में बदलते हैं।

गलवान घाटी में शहीद कर्नल संतोष बाबू की पत्‍नी को सरकारी नौकरी, बनीं डेप्‍युटी कलेक्‍टर



Colonel santosh babu: तेलंगाना की केसीआर सरकार ने ऐलान किया था कि सरकार की ओर से कर्नल संतोष बाबू के परिवार को पांच करोड़ रुपये की सहायता राशि, एक रेजिडेंशियल प्लॉट और उनकी पत्नी को नौकरी दी जाएगी। सरकार ने अपना एक वादा पूरा कर दिया है। कर्नल संतोष बाबू चीन से हुई हिंसक झड़प में शहीद हो गए थे।

हैदराबाद

सीमा पर भारत और चीन के जवानों के बीच हिंसक झड़प में शहीद हुए कर्नल संतोष बाबू की पत्‍नी संतोषी को तेलंगाना सरकार ने डेप्‍युटी कलेक्‍टर के पद पर नियुक्ति दी है। मुख्‍यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने बुधवार को संतोषी को सरकारी नौकरी का नियुक्ति पत्र सौंपा। राव ने अफसरों को निर्देश दिए हैं कि शहीद की पत्‍नी की नियुक्ति हैदराबाद या आसपास के इलाकों में ही की जाए।

कर्नल संतोष बाबू की पत्नी संतोषी अपनी 8 साल की बेटी और 3 साल के बेटे के साथ फिलहाल दिल्ली में रहती हैं। संतोषी को ही सबसे पहले संतोष बाबू के शहीद होने का पता चला था। वहीं संतोष की मां हैदराबाद में रहती हैं। वह चाहती थीं कि बेटे का ट्रांसफर किसी तरह हैदराबाद में ही हो जाए। इससे पहले तेलंगाना सरकार ने कर्नल संतोष बाबू के परिवार को पांच करोड़ रुपये की सम्मान राशि देने का ऐलान किया था।

संतोष बाबू के घरवालों से बातचीत करते सीएम चंद्रशेखर राव

20 जवान हुए थे शहीद

आपको बता दें कि पिछले महीने गलवान घाटी में चीन के अवैध कब्जे को लेकर भारत और चीन की सेनाओं में खूनी संघर्ष हुआ था। इस संघर्ष में कर्नल संतोष बाबू समेत सेना के कुल 20 जवान शहीद हो गए थे। चीन के भी कम के कम 43 सैनिक और अधिकारी इस झड़प में मारे गए। दरअसल, लगातार जारी तनाव के बीच कर्नल संतोष बाबू बातचीत करने गए थे। लौटते वक्त चीनी सैनिकों ने धोखे से हमला कर दिया, जिसके बाद दोनों तरफ के जवानों में जमकर संघर्ष हुआ।

क्या है लद्दाख में भारत-चीन विवाद

गलवान घाटी में घुसपैठ को खत्‍म करने के लिए कई स्‍तर पर बातचीत चल रही है। यहां पर चीन की मौजूदगी दारबुक-श्‍योक-दौलत बेग ओल्‍डी रोड के लिए खतरा है। यह रोड काराकोरम पास के नजदीक तैनात जवानों तक सप्‍लाई पहुंचाने के लिए बेहद अहम है। पैंगोंग झील का मसला और पेचीदा है। यहां पर चीन ने फिंगर 8 से 4 के बीच 50 वर्ग किलोमीटर से ज्‍यादा भूमि पर कब्‍जा कर रखा है। चीन ने फिंगर 4 के बेस के पास कैंप लगाए हैं। इसके आगे भारत की पैट्रोलिंग टीम को नहीं जाने दिया जा रहा जबकि फिंगर 8 तक भारत का इलाका है। चीन फिंगर 4 तक ही भारत की सीमा मानता है।

कितने प्रकार के होते हैं किस? जीभ साथी के मुंह में तेजी से अंदर बाहर.. इस किस को क्या कहते हैं ?

 1. माथे पर किस किसी रिश्ते की शुरुआत करने के लिए आप माथे पर किस कर सकते हैं। ध्यान रहें कि किसी से दोस्ती होने पर ही इस तरह की किस करें। यह...