- संजीत का 22 जून को अपहरण हुआ था, 29 जून को परिजनों के पास फिरौती के लिए फोन आया था
- परिजन ने कहा- 13 जुलाई को अपहरणकर्ता पुलिस के सामने 30 लाख रुपए की फिरौती लेकर चले गए
उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक महीने पहले लैब टेक्निशियन संजीत यादव का अपहरण उसके ही दोस्तों ने किया था। अपहरण के बाद चौथे ही दिन दोस्तों ने उसकी हत्या कर दी थी और शव पांडू नदी में फेंक दिया था। गुरुवार को दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में वारदात का खुलासा होने के बाद पुलिस देर रात तक पांडू नदी में शव तलाशती रही, लेकिन कामयाबी नहीं मिली।
शहर के बर्रा इलाके में रहने वाले संजीत का 22 जून को अपहरण किया गया था। 29 जून को उसके परिवार वालों के पास फिरौती के लिए फोन आया। 30 लाख रुपए फिरौती मांगी गई की थी। परिवार ने पुलिस को सूचना दी तो जिस नंबर से फोन आया था उसे सर्विलांस पर लगा दिया गया, लेकिन संजीत या आरोपियों का पता नहीं चल सका।
घर-जेवर बेचकर फिरौती की रकम जुटाई
संजीत के परिवार वालों का कहना है कि उन्होंने घर, जेवर बेचकर और बेटी की शादी के लिए जमा किए पैसे मिलाकर 30 लाख रुपए जुटाए थे। 13 जुलाई को पुलिस के साथ अपहरणकर्ताओं को पैसे देने गए। अपहरणकर्ता पुलिस के सामने से 30 लाख रुपए लेकर चले गए। इसके बाद भी बेटा नहीं मिला तो परिजन ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए थे। इस घटना के बाद एसएसपी ने बर्रा इंस्पेक्टर रणजीत रॉय को सस्पेंड कर दिया था।
पैथोलॉजी लैब खोलने की योजना बताना भारी पड़ा
पुलिस के मुताबिक, संजीत के साथ एक लैब में काम कर चुके उसके 2 दोस्त 22 जून को उससे मिले थे। वे संजीत को पास के ढाबे पर खाना खिलाने ले गए। वहां तीनों ने शराब पी। नशे की हालत में संजीत ने दोस्तों को बताया कि मैं खुद पैथोलॉजी खोलने वाला हूं। सभी तैयारियां कर ली हैं। संजीत की बात सुनने के बाद उसे ढाबे से ही अपहरण कर लिया गया। पनकी में रहने वाले कुलदीप ने पूरी साजिश रची। इसमें कुलदीप की गर्लफ्रेंड और कुलदीप के दोस्त ज्ञानेंद्र, रामजी शुक्ला समेत 3 अन्य लोग भी शामिल थे।
बाइक झाड़ियों में छिपाई, ताकि सुराग न मिले
दोस्तों ने संजीत की बाइक रामादेवी में झाड़ियों के बीच छिपाई थी। कुलदीप ने अपनी गर्लफ्रेंड को पत्नी बताकर रतनलाल नगर में किराए का रूम लिया था। संजीत को रतनलाल नगर में रखा था, उसे नींद और नशे का इंजेक्शन देते थे। अपहरणकर्ताओं ने फिरौती मांगने के लिए सिम कार्ड खरीदे थे। संजीत आरोपियों को पहचानता था, इसलिए पकड़े जाने के डर से उन्होंने 26 जून को उसकी हत्या कर दी थी। एसएसपी दिनेश कुमार के मुताबिक, संजीत का अपहरण करने वालों में उसके 2 खास दोस्त थे।
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