Monday, 12 October 2020

अब आमिर के परिवार पर निशाना : कंगना ने आमिर की बेटी इरा के डिप्रेशन पर कहा- टूटे परिवारों के बच्चों के लिए बहुत मुश्किल होती है


वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे पर इरा खान ने यह खुलासा किया था कि वे क्लीनिकल डिप्रेशन से जूझ रही हैं। इसके बाद एक तरफ आमिर की 23 साल की बेटी पर पूरा बॉलीवुड प्यार और सहानुभूति लुटा रहा है वहीं कंगना की खरी-खरी बात ने सबको हैरान कर दिया है। कंगना ने कहा है कि टूटे हुए परिवारों के बच्चों के लिए बहुत ही मुश्किल होती है।

  

कंगना ने ट्वीट पर लिखी अपनी कहानी

इरा ने एक वीडियो शेयर कर खुलासा किया था कि वे पिछले 4 साल से डिप्रेशन से जूझ रही हैं। इसी पर कंगना ने भी कमेंट किया। ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा- सोलह की उम्र में मैंने फिजिकल असॉल्ट झेला था। अपनी बहन की देखभाल अकेले की थी, जिस पर तेजाब फेंका गया था। मीडिया को भी झेला। डिप्रेशन के कई कारण हो सकते हैं। मगर यह टूटे हुए परिवारों के लिए और भी कष्टकारी है। पारंपरिक परिवार प्रणाली बहुत जरूरी है।

कंगना के केस का फैसला बाकी है

यह पहला मौका नहीं है जब कंगना ने किसी बॉलीवुड सेलेब्स के निजी मामले में बोल रही हैं। पिछले दिनों कंगना ने महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ बयान दिए थे। जिसके बाद उनके ऑफिस पर बुल्डोजर चलवाया गया था। इसके बाद कंगना ने 2 करोड़ रुपए का हर्जाना मांगते हुए बीएमसी पर केस किया था। जिसका फैसला बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुरक्षित रख लिया है।

गौरतलब है कि इरा, आमिर और रीना की बेटी हैं। रीना और आमिर की शादी 1986 में हुई थी और 2002 में दोनों अलग हो गए थे।

 

कोरोना के बीच 15 अक्टूबर से दोबारा खोले जाएंगे स्कूल, जानें अलग- अलग राज्यों का स्कूल खोलने को लेकर क्या है फैसला?

 अनलॉक- 5


 

केंद्र सरकार की तरफ से जारी अनलॉक 5 की गाइडलाइंस के मुताबिक 15 अक्टूबर से स्कूलों को दोबारा खोला जाएगा। हालांकि, दिल्ली, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों ने फिलहाल स्कूलों को नहीं खोलने का फैसला किया है। वहीं, हरियाणा और मेघालय जैसे कुछ राज्यों ने अभी तक इस बारे में कोई फैसला नहीं किया है।

21 सितंबर से खुले आंशिक तौर पर स्कूल

इससे पहले जारी हुए अनलॉक- 4 के दिशा-निर्देशों के तहत सरकार ने 21 सितंबर से 9वीं से 12वीं तक के स्टूडेंट्स के लिए आंशिक तौर पर स्कूल खोलने की अनुमति दी थी। हालांकि, अभी भी ज्यादातर पैरेंट्स बच्चों को कोरोना के बीच दोबारा स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं है। इसके बाद 01 अक्टूबर से लागू हुई अनलॉक-5 की गाइडलाइंस के बाद अब 15 अक्टूबर से फिर से स्कूल खोले जा रहे हैं। इसके लिए आखिरी फैसला राज्य सरकार को लेना होगा।

दिल्ली- दिल्ली सरकार ने स्कूलों को 31 अक्टूबर तक यथावत बंद रखने का फैसला किया है। इसके बाद हालात की समीक्षा कर स्कूल खोलने पर दोबारा फैसला किया जाएगा।

उत्तर प्रदेश- राज्य सरकार ने घोषणा की है कि कंटेनमेंट जोन के बाहर के स्कूलों में नौवीं से बारहवीं तक की स्टूडेंट्स के लिए 19 अक्टूबर से दोबारा खोले जा सकेंगे। हालांकि, स्कूल आने के लिए पैरेंट्स की अनुमति होनी जरूरी होगी।

कर्नाटक- स्कूलों को दोबारा खोलने के बारे में कर्नाटक सरकार ने कहा है कि उसे स्कूलों को दोबारा खोलने की कोई हड़बड़ी नहीं है और वह सभी पहलुओं का अध्ययन करने के बाद इस बारे में निर्णय लेगी।

छत्तीसगढ़ सरकार ने कहा है कि राज्य के स्कूल महामारी के मद्देनजर अगले आदेश तक बंद रखने का फैसला किया। वहीं, महाराष्ट्र सरकार ने दिवाली के बाद कोविड-19 के हालात की समीक्षा करने तक स्कूल बंद ही रखने का फैसला किया है।

गुजरात- राज्य सरकार ने भी कहा है कि वह दिवाली के बाद ही स्कूलों को दोबारा खोलने पर विचार कर सकती है। वहीं, मेघालय सरकार ने राज्य में स्कूलों को पुन: खोलने पर अंतिम फैसला लेने से पहले अभिभावकों की प्रतिक्रिया जाननी चाही है।

पुडुचेरी- सरकार ने घोषणा की है कि 9वीं से 12वीं तक के स्टूडेंट्स के लिए आठ अक्टूबर से क्लासेस शुरू की गई हैं। पुडुचेरी के शिक्षा निदेशक रुद्र गौड़ के मुताबिक अगले आदेश तक हफ्ते के छह दिन सिर्फ आधे दिन तक क्लासेस लगेंगी।

हरियाणा- हरियाणा में सरकार छठी से 9वीं तक के स्टूडेंट्स के लिए स्कूलों को फिर से खोलने पर विचार कर रही है, जिससे वे टीचर्स से मार्गदर्शन ले सकें, लेकिन इस बारे में अभी कोई आखिरी फैसला नहीं हुआ है।

आंध्र प्रदेश- राज्य सरकार ने दो नवंबर तक सामान्य तरीके से क्लासेस फिर से नहीं लगाने का फैसला किया है। वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा कि स्कूलों को फिर से खोलने पर फैसला नवंबर के बीच में किया जाएगा।

बिहार में जीत मिलने के बाद 'माननीयों' पर मेहरबानी होती है लक्ष्‍मी

 

आप यकीन करें या न करें, सच ये है कि बिहार में सांसद हों या विधायक, चुनाव जीतने के बाद लक्ष्‍मी उन पर कुछ ज्‍यादा ही मेहरबान हो जाती है. ऐसा हम नहीं कह रहे. ये कहना है कि इलेक्‍शन वॉच और एडीआर यान‍ी द एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्‍स संस्‍था का

आप यकीन करें या न करें, सच ये है कि बिहार में सांसद हों या विधायक, चुनाव जीतने के बाद लक्ष्‍मी उन पर कुछ ज्‍यादा ही मेहरबान हो जाती है. ऐसा हम नहीं कह रहे. ये कहना है कि इलेक्‍शन वॉच और एडीआर यान‍ी द एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्‍स संस्‍था का. ये संस्‍थाएं देश और राज्‍यों में होने वाले चुनावों में शामिल होने वाले नेताओं का अध्‍ययन करती हैं. नामांकन पत्र में व्‍यक्तिगत, शैक्षिक, आर्थिक व आपराधिक सूचनाओं के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार करती हैं. 


औसत संपत्ति में दोगुने से ज्‍यादा इजाफा 

इलेक्‍शन वॉच और एडीआर की ताजा रिपोर्ट बिहार को लेकर है. 2005 से लेकर अब तक हुए चुनावों में यहां 10785 नेता हिस्‍सा ले चुके हैं. इन सभी के बारे में विश्‍लेषण करने पर चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं.  जैसे कि बीते 15 वर्षों में चुनाव लड़ने वालों की औसत संपत्ति 1.09 करोड़ थी. इसमें चुनाव जीतने वाले सांसद और विधायकों की संपत्ति बाद में दो गुने से ज्‍यादा बढ़ी है. इसका औसत 2.25 करोड़ है. यान‍ी अगर किसी नेता के पास चुनाव लड़ने से पहले 1.09 करोड़ की संपत्ति थी तो चुनाव जीतने के बाद अगले चुनाव तक वह बढ़कर 2.25 करोड़ हो गई.

जितने मुकदमे, जीत की संभावना उतनी ज्‍यादा 

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2005 से अब तक 10785 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे हैं. इन उम्मीदवारों में 30 प्रतिशत ऐसे थे, जिन्होंने खुद पर लगे आपराधिक आरोपों की घोषणा नामांकन के दौरान की. इन दागी लोगों में 20 प्रतिशत ऐसे हैं, जिनके ऊपर गंभीर अपराध के आरोप हैं. जीत हासिल करने वाले 820 सांसद व विधायकों का विश्लेषण हुआ तो इनमें 57 प्रतिशत पर आपराधिक आरोप थे. इसमें भी 36 प्रतिशत पर गंभीर अपराध के आरोप थे. यानी वही उम्मीदवार ज्यादा जीते जिन पर आपराधिक घटनाओं में लिप्त होने का आरोप है

 

पढ़े-लिखे उम्मीदवारों पर आपराधिक आरोप ज्‍यादा 

इस रिसर्च में शिक्षा और अपराध का तुलनात्‍मक अध्‍ययन भी किया गया. इसके नतीजे और ज्‍यादा रोचक निकले. चुनाव मैदान में उतरे स्नातक या उसके अधिक की शिक्षा ग्रहण करने वालों में 33 प्रतिशत पर आपराधिक मामले  हैं. इनमें 21 प्रतिशत शिक्षित उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक मामलों का आरोप है. कम शिक्षित यानी 12वीं तक की शिक्षा ग्रहण करने वाले उम्मीदवारों में 29 प्रतिशत पर ही आपराधिक घटनाओं के आरोप हैं जबकि गंभीर आपराधिक घटनाओं के आरोपी 20 प्रतिशत हैं. स्‍पष्‍ट है कि जो ज्‍यादा पढ़े-लिखे थे, उन पर आपराधिक आरोप ज्‍यादा हैं.

 

Saturday, 3 October 2020

जघन्य अपराध का सिलसिला बा-दस्तूर जारी, आख़िर कब तक सहेंगी बेटियां



दुष्कर्म, बलात्कार, रेप , चिरहरण ... और ना जाने कितने नाम. बलात्कार सिर्फ शरीर के साथ नहीं किया जाता है. ये आत्मा को तार-तार कर देने के बराबर है. मरी हुई आत्मा के साथ एक जीते-जागते कंकाल को देखने का दुख पूछो उस परिवार से जो ना मरते मरे हैं और ना जिते जी सकते हैं. अपने अंदर की हवस को मिटाने के लिए इंसान जानवर बन गया है और चंद घंटों की प्यास बुझाने का मुल्य वो किसी की आत्मा की हत्या कर वसूलता है.

खैर, अब ऐसी वारदातें आम है. हर गली, मोहल्ले और नुक्कड़ की यही कहानी है. हाल ही में एक मुद्दा बहुत सुर्खियों में बना हुआ है. उत्तर प्रदेश के हाथरस में, जहां 19 साल की दलित लड़की के साथ 4 लड़कों ने सामूहिक दुष्कर्म किया, जीभ काटी और कमर तोड़ दी. 14 दिन बाद पीड़िता ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में आखिरी सांस ली.
इस जघन्य अपराध के बाद यूपी पुलिस का जो घिनहौना चेहरा लोगों के सामने आया, उसकी किसी ने कल्पना भी ना की होगी. लेकिन 14 दिन तक लोगों के रंगों में सजी ये दुनिया, अपनी रफ्तार में चलती रही, मामले के लाइमलाइट में आने के बाद अब हर कोई इंसाफ की मोमबत्ती लेकर मुहाने पर खड़ा है. 
अब यहां सवाल यह उठता है कि सिर्फ हाथरस की बेटी को इंसाफ क्यों? क्या आप जानते हैं कि भारत की एक तस्वीर ऐसी भी है, जहां हर दिन औसतन 87 बलात्कार के मामले दर्ज किए जाते हैं. देश में हर 15 मिनट में एक बलात्कार का मामला दर्ज किया जाता है.

साल 2019 के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराधों के 4,05,861 मामले दर्ज किए गए हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि आंकड़ों में 2018 के मुकाबले सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है. वहीं देश में 2018 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के 3,78,236 मामले दर्ज किए गए थे, जिसमें 33,356 मामले बलात्कार के दर्ज किए गए.
लेकिन इन आंकड़ों से क्या फर्क पड़ता है. शायद महिला ये ना निर्भया होंगी और ना हाथरस की बेटी. आज हर कोई चिल्ला-चिल्लाकर इंसाफ की गुहार लगा रहा है. क्या कभी किसी ने सोचा कि एक बेटी को इंसाफ मिल जाने के बाद बलात्कार के मामलों में कमी आएगी? 
क्योंकि इंसाफ तो निर्भया को भी मिला, इंसाफ तो हैदराबाद की बेटी को भी मिला, लेकिन ना तो मामलों में गिरावट दर्ज की गई और ना अपराधों में कमी आई. आप ज्यादा दूर तक मत जाइये, हाथरास के साथ-साथ ही यूपी के कई ज़िलों में बलात्कार के मामले सामने आए हैं, जिसमें बलरामपुर, आजमगढ़, भदोही, अयोध्या और इन्हीं में एक और प्रदेश राजस्थान भी शामिल है. लेकिन हर जगह अपना खेल चल रहा है. कहीं टीआरपी तो कहीं राजनीति चमकाई जा रही है.

फ़ात्मा...

कितने प्रकार के होते हैं किस? जीभ साथी के मुंह में तेजी से अंदर बाहर.. इस किस को क्या कहते हैं ?

 1. माथे पर किस किसी रिश्ते की शुरुआत करने के लिए आप माथे पर किस कर सकते हैं। ध्यान रहें कि किसी से दोस्ती होने पर ही इस तरह की किस करें। यह...